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हाल-ए-दिल

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उसके चंचल निगाहें दिल के तार छेड़ गए बातों बातों में। अब तेरे बिना कुछ सूझता ही नहीं मज़बूर हू दिल के हाथों मे। कैसे बया करू ये सोचती रहती हू  बेचैन भरि रातों में। कैसे पहुँचाऊ तुम तक मेरे ...