बावरा मन चंद उलझी साँसें रिहा कर, उसने चैन की सांस ली। सुकून भरे उस लम्हे ने, नजाने कितनी ख्वाइशों को थी उसके दिल मे पनाह दी। मदहोश वो, हर ख्वाब अपने आब से सी रही थी। सच्चे प्यार की उम्मीद शायद ...
आपकी बाकी सभी कहानियां पढ़ी बहुत अच्छा लिखते हो , ख़ासकर शब्दों का चुनाव बहुत ही सटीक है , इस कहानी की विशेष बात ये है कि ये अपने आप में एक खूबसरत कविता है ,मुझे तो बहुत पसंद आई... आप ऐसे ही हमेशा लिखते रहो और हम पसंद करते रहेंगे...😊😊
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