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स्पंदन

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जीवनछोटी कवितायें

संवेदनाओं से अब बचती हूं, जिह्वा अर्थपूर्ण हो सदैव, यही मनोवृत्ति रखती हूं। चित्त में आशाओं को भर , विरह वेदना से उभर , मैं हृदय स्पंदन करती हूं। आत्मनिष्ठा भर दृढ़ता से, शख्सियत से सख्त ...

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नेहा यादव

लोगों की बातों से वाकिफ़ थी मैं फिर भी मुझसे तन्हा रहा ना गया। -नेहा यादव

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